सिंधु जल समझौता… उमर अब्दुल्ला ने केंद्र के फैसले का किया समर्थन

सिंधु जल समझौते को लेकर उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?
उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है। हम कभी भी सिंधु जल संधि के पक्ष में नहीं रहे हैं। हमारा हमेशा से मानना रहा है कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे अनुचित दस्तावेज है। मुख्यमंत्री ने अमित शाह से मिली सुरक्षा के आश्वासन पर भी बात की। उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि हमला हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में जो भी मुद्दे रखे गए, उन पर काम किया जाएगा।
भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बारे में लिख कर बताया।
सूत्रों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बारे में लिख कर बता दिया है। जल शक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है। भारत ने संधि में बदलाव के लिए नोटिस जारी किया है। यह फैसला 23 अप्रैल को CCS की बैठक में लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री जयशंकर भी मौजूद थे। यह सब तब हुआ जब 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया।
सिंधु जल संधि क्या है समझते है?
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को लेकर एक समझौता है। यह संधि 1960 में हुई थी। इस संधि के तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया है। जम्मू और कश्मीर के कुछ लोगों का मानना है कि इस संधि से उन्हें नुकसान होता है। उनका कहना है कि उन्हें पानी का उचित हिस्सा नहीं मिलता है।